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जीवन जीने की कला

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     मैं जब छोटी थी तब से गौतम बुद्ध की बोहत सारी कहानियाँ सुनती आई हूँ। जब छोटी थी तब वो कहानियाँ बहुत अछि लगती थी। तब वो कहानियाँ ज़िंदगी मैं अमल करने के बारे मैं खयाल नहीं आता था। आज वही कहानियाँ जब वापस सुनती हूँ तो उसके मतलब सही तरह से समज मैं आते हैं। बुद्ध भगवान की बोहत सारी कहानियाँ सुनी हैं उसमैं से एक जो आज मैं यहाँ लिखने जा रही हूँ मेरे लिए खास हैं। आज इस सदी मैं यह कहानी शायद आप सबकी भी मदद कर सके।       एक समय की बात हैं , तीनों  दिसाओ मैं पहाड़ दिख रहे थे  , हरयाली छाई हूइ थी। धीमी धीमी हवा चल रही थी। सूर्य अपनी किरने बिछा रहा था। पहाड़ की वादियों मैं एक गाउँ बसा हुआ था। गाउँ से थोड़े दूर एक जंगल था। जंगल के एक वृक्ष के नीचे बेथकर गौतम बुद्ध ध्यान कर रहे थे। वो अपने ध्यान मैं मग्न थे।         वहाँ के लोग बुद्ध को बोहुत मान देते थे। बुद्ध भगवान प्रवचन देते तब वे सब उन्हे सुने आते। वे लोग उन्हे अपनी तकलीफ़े बताते थे और बुद्ध उनकी समशया दूर करते। उसी गाउँ मैं एक व्यापारी रेहता था। उसे गौतम बुद्ध बिलकुल पसंद नहीं थे। वह अपने व्यापार मैं घोटाले करता था। एक बार किसी ने उसके